इस लेख का उद्देश्य डिप्रेशन और मानसिक स्वास्थ्य के प्रभावों पर प्रकाश डालना है । अपने मानसिक स्वास्थ्य को समझने, उस पर आत्म चिंतन करने तथा उसके उपचार से जुड़ी जानकारियों के लिए आगे पढ़ें :
क्या आपको लगता है कि सिर्फ आपकी व्यावसायिक उपलब्धियाँ ही आपकी योग्यता को परिभाषित करती हैं? क्या आप अपनी पेशेवर सफलताओं की लालसा में अपने जीवन के हर दूसरे पहलू की उपेक्षा कर रहे है ? क्या आप कभी-कभी ऐसा महसूस करते हैं कि इन प्रतिस्पर्धाओं, असफलताओं और रोज़मर्रा की भागदौड़ से कहीं दूर जाकर नए तरीके से जीवन को शुरू करना चाहिए । हम व्यक्ति के जीवन में दरकिनार कर दिए गए पहलुओं के बारे में बात करना चाहते हैं फिर चाहे वो कामकाजी पेशेवर हो, छात्र हो या गृहिणी हो ।
हाल ही में 14 जून 2020 को बॉलीवुड स्टार सुशांत सिंह राजपूत ने मुंबई में अपने अपार्टमेंट में आत्महत्या कर ली। इस घटना ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर मानसिक स्वास्थ्य की चर्चा को फिर से शुरू कर दिया है। दुर्भाग्यपूर्ण है कि इस बातचीत को शुरू करने के लिए हमें एक प्रतिभशाली मेहनती युवक को खोना पड़ा । हम चाहते हैं कि हमारे पाठक समझे कि अपनी लड़ाई में वे अकेले नहीं हैं। आप हम जैसे बहुत लोगों ने निराशा और हताशा जैसी भावनाओं को महसूस किया। महत्वपूर्ण यह है कि हम यह स्वीकार करे कि समाज मे ऐसी भावनाएं मौजूद है, फिर ही उनका समाधान ढूढ़ सकते है ।
डिप्रेशन के समस्या कैसे पहचानें :
कभी कभी उदास महसूस करना सामान्य है। हालांकि, जब उदासी लंबे समय तक बनी रहती है ताकि आपके रोजमर्रा के कामकाज में बाधा आए, तो यह clinical डिप्रेशन का संकेत हो सकता है। कुछ लक्षण जो अवसाद का संकेत कर सकते हैं, वे हैं:
1. उदास होना , बार बार रोने का मन करना
2.अपराधबोध, निराशा या महत्वहीनता के भाव आना
3. सोने के समय के नियम में भारी बदलाव आना
4 उन चीजो में मन न लगना जो पहले बहुत खुशी देती थी
5. थका थका, उदास एवं प्रेरणा की कमी महसूस करना
6.मृत्यु, आत्महत्या और आत्मघात के बारे में सोचना
डिप्रेशन के क्या कारण होते है ?
डिप्रेशन के सटीक कारण ज्ञात नहीं हैं। कभी कभी बिना किसी ठोस कारण के भी लोग उदास या डिप्रेशन ग्रस्त महसूस करते है । यहां नीचे कुछ कारण दिए है जो कि डिप्रेशन जैसी समस्याओं को जन्म दे सकते है ।
1. मस्तिष्क से जुड़े रसायनों में असंतुलन
2. वंशानुक्रमिक(Hereditary/genetics problem)
3.खराब पोषण
4. कार्य या जीवन प्रेरित तनाव
5. ड्रग्स की लत
6. शारीरिक स्वास्थ्य समस्याएं
उपचार:
डिप्रेशन से जुड़े प्रचलित मिथकों में से एक यह है कि बहुत से लोग मानते हैं कि इसे उपचार की आवश्यकता नहीं है। हालांकि यह संभव है कि डिप्रेशन आपके अपनो के समर्थन से समय के साथ हल हो सकता है। लेकिन कभी-कभी व्यक्ति के इलाज के लिए चिकित्सा हस्तक्षेप आवश्यक हो जाता है। चिकित्सा पेशेवर अक्सर डिप्रेशन रोधी दवाओं या थेरेपी के माध्यम से अथवा कभी कभी दोनों के संयोजन से भी इलाज को संभव करते हैं। एक प्रमाणित मनोचिकित्सक तक पहुंच कर इन इलाज के लिए अपनायी जाने वाले तरीको पर बात करना बेहतर होगा ।
खुश और संतुष्ट रहने के लिए क्या करे :
चिकित्सा और थेरेपी प्राप्त करने के अलावा ज़िन्दगी को डिप्रेशन मुक्त और खुशहाल बनाने के लिए आप कुछ चीजें कर सकते है :
अपनों की मदद ले : जो लोग सकारात्मक रूप से, प्यार से और धैर्य से आपको सुनते हो डिप्रेशन को हराने की लड़ाई में वो आपके सबसे बड़े सहयोगी साबित होंगे ।
शारीरिक स्वास्थ्य का ख्याल रखे : मानसिक और शारिरिक स्वास्थ्य एक दूसरे पर निर्भर करता है । संतुलित एवं विविधता पूर्ण पौष्टिक आहार लेना , अच्छी नींद लेना ,नियमित व्यायाम करना , यह कुछ ऐसी चीजें है जो आप शरीर को स्वस्थ रख सकते है ।
तनाव के कारण को समझने का प्रयास करे : तनाव के स्रोतों की पहचान करके फिर उन्हें खत्म तथा कम करना मानिसक स्वास्थ्य को ठीक करने की लंबी प्रक्रिया है| उदाहरण के लिए, यदि सोशल मीडिया आपको चिंतित करता है, तो अस्थायी रूप से उनका उपयोग नहीं करना, मदद करेगा। इसे “डिजिटल डेटॉक्स” कहा जाता है।
अच्छी यादे बनाये, सचेत रूप से ध्यान देकर : उन कामो को करे जिनसे आप जानते है कि आपको खुशी मिलेगी और जिनसे एक खूबसूरत याद भी बनेगी । नई खुशनुमा यादें बनाना आपके तनाव के स्तर को हल्का करता है और आपके शरीर में हार्मोन के सही मिश्रण को प्रेरित करता है।
रोज़ाना स्वयं के साथ कुछ वक्त बिताए : रोजाना कम से कम 10 मिनट स्वयं के लिए निकाले । आप शायद ऐसा करने से महसूस कर पाये की कहा गलती हो रही और किस नीति का अनुसरण करके चीजे ठीक होंगी।
क्या आप जानते हैं: डिप्रेशन से ग्रस्त सबसे ज्यादा मामले भारत मे है ।
WHO, 2018 की रिपोर्ट के आधार पर ।
दुनिया भर में 30 करोड़ से अधिक लोग किसी न किसी रूप में चिंता या अवसाद(डिप्रेशन) से ग्रस्त हैं, भारत इस समस्या से सबसे अधिक प्रभावित देशो में एक है । भारत में आत्महत्या दर 10 लाख पर 109 है । आत्महत्या करने वाले अधिकांश लोग 44 वर्ष से कम उम्र के हैं।
मानसिक दर्द, शारीरिक दर्द की तुलना में कम नाटकीय है, लेकिन यह अधिक सामान्य है और इसे सहन करना अधिक कठिन है
C.S Lewis
यह उद्धरण उन कारणों को स्पष्ट करता है कि क्यों हमारे समाज मे मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े प्रश्नों को उचित स्थान नही मिला । डिप्रेशन जैसे विषयों पर समाज की असंवेदनशीलता, अक्सर इससे पीड़ित लोगों को चुप रहने एवं अकेले इससे जूझने को बाध्य करती है । मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े कलंक को दूर करने का एकमात्र उपाय यही है कि इसके बारे में ज्यादा से ज्यादा बातचीत की जाए एवं इससे जुड़े अनुभवों को साझा किया जाए ।
इस लेख के माध्यम से हमने मानसिक स्वास्थ्य जैसे विशाल विषय की सतह को मात्र खरोंच भर दिया है । इसे लिखने में हमारा मुख्य मकसद मानसिक स्वास्थ्य पर चर्चा के पहिये और आगे की तरफ ले जाना था । हम चाहते हैं कि हमारे पाठक यह जानें कि वे इस संघर्ष में अकेले नहीं हैं। हम आपके करियर में महान ऊंचाइयों तक पहुंचने में आपकी मदद करने के लिए यहां हैं लेकिन साथ ही हम यह भी चाहते है कि आपका काम आपके जीवन का बस एक हिस्सा बने आपका जीवन न बन जाये साथ ही यह भी की आपका शारीरिक और भावनात्मक स्वास्थ्य ही आपकी सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए। अपने प्रियजनों के समर्थन से आप अवसाद के इस पहाड़ को भी जीत जाएंगे
हम जल्द ही लिखेंगे कि मानसिक स्वास्थ्य में सुधार आपके कैरियर के विकास के लिए कैसे फायदेमंद हो सकता है और आपको नेतृत्व जैसे गुणों के साथ प्रतिष्ठित होने में सहायता कर सकता है ।
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